देश दर्शन।
शब्दों की सीमा लांघते शिशुपालो को,
कृष्ण का सुदर्शन दिखलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
नारी को अबला समझने वालों को,
मां काली का रणचंडी अवतार
याद दिलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
वचन मर्यादा को शून्य कहने वालो को,
राम का वनवास याद दिलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
प्रेम विरह में मरने वालो को,
गोपियों का विरह बतलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
भक्त की भक्ति को मूर्ख समझने वाले को,
होलिका का अंजाम याद दिलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
भक्ति प्रेम को ज्ञान...
कृष्ण का सुदर्शन दिखलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
नारी को अबला समझने वालों को,
मां काली का रणचंडी अवतार
याद दिलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
वचन मर्यादा को शून्य कहने वालो को,
राम का वनवास याद दिलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
प्रेम विरह में मरने वालो को,
गोपियों का विरह बतलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
भक्त की भक्ति को मूर्ख समझने वाले को,
होलिका का अंजाम याद दिलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
भक्ति प्रेम को ज्ञान...