...

24 views

शब्द और जज्बात

यह तो जज्बात है जो
इन शब्दों में है बहते
वर्ना तो यह शब्द
निर्जीव ही रहते...

श्वेत श्याम रेखाएं
और मात्र कुछ आकार
न होती कोई सोच इनमें
ना ही कोई विचार

जब खूद ही अधूरे होते
तो हमसे भला क्या कहते ?
यह तो जज्बात है जो....

अक्षरों को जोड़ शब्द हो
शब्दों को जोड़ वाक्य
पर शुष्क है यह निरे तृण मात्र
बिन भावना,बिन जज्बात

तो शब्दों को उतारना
अवश्यपन्नों पर,
पर उन्हें न रखना खाली हाथ
सौंप देना उनको हृदय
की भावनाएं कुछ
कुछ मन के जज्बात

तब यह बखूबी अपना
किरदार निभायेंगे
आपका संदेश कुशलता
से पहुंचाएंगे
लौटते वक्त पुछ भी बैठेंगे
क्या कहनी है और कुछ बात ?

यह तो जज्बात है जो
इन शब्दों में है बहते
वर्ना तो यह शब्द
निर्जीव ही रहते...

- स्वरचित © ओम'साई'





© aum 'sai'