तेरा इंतज़ार
#इंतज़ार
तेरी यादों में जग बिसराकर,
मैं तो सब सुध बुध भूल गई।
भोर के सौम्य भास्कर से भी,
ये विरहन की देह झुलस गई।
आजा सजना तुझे पुकारूँ,
मैं बावरी अब तो दिन रैन।
नीर बहे नयनों से मोरे,
ना आए जीया को चैन।
सावन भी आया झूमता,
तू भी मुझको दरस दिखा।
सैंया मेरा सावन बनकर,
मुझ विरहन की प्यास बुझा।
© रितु अग्रवाल
तेरी यादों में जग बिसराकर,
मैं तो सब सुध बुध भूल गई।
भोर के सौम्य भास्कर से भी,
ये विरहन की देह झुलस गई।
आजा सजना तुझे पुकारूँ,
मैं बावरी अब तो दिन रैन।
नीर बहे नयनों से मोरे,
ना आए जीया को चैन।
सावन भी आया झूमता,
तू भी मुझको दरस दिखा।
सैंया मेरा सावन बनकर,
मुझ विरहन की प्यास बुझा।
© रितु अग्रवाल