...

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लब खामोश हैं
लब खामोश हैं, आँखों मै आसूं,
दिल मै बेचैनी उठ रहा एक अजीब सा तूफान है!
अनजान हुँ जिस चीज से शायद उसका आगाज है,
कुछ मेने ही बुरा किया होगा जिसका ये अंजाम है!

जब पैर मै बेड़िया हो तो,उड़ान कैसे भरे कोई,
सांस लेने हो जाए दुशवार तो कैसे जिये कोई!
ना कोई गलत राह,ना कोई गलत चाह,
पर हर मोड़ पर ना जाने क्यू मुझे पुकारा जाए लापरवाह!!

कविता मै पिरो के अपने दर्द को,
कुछ यूँ जाहिर कर दिया,
कागज के साथ थामकर कलम को
गमो को दिल से बाहिर कर दिया!

क्या बीतती है जब सपने टूट ते हैं,
क्या महसूस होता है जब अपने रूठते हैं,
दुनिया क्या जाने की कितना दर्द होता है,
ज़ब कमान से नहीं जुबां से तीर छूट ते हैं!

बहुत रुलाया गया मुझे,
बहुत सताया गया मुझे
जब भी उठे हाथ सबके हक़ मै दुआ की
जमीर साथ ही नहीं था इसलिए बद्दुआ ना दी!

मुझे हर पल निचा दिखाया गया,
मुझे मेरी ही नजरों से गिराया गया,
ये दुनिया वेवफा थी मालूम है या रब,
पर धोखा भी अपनों से ही क्यू दिलाया गया!

खामोश लब, आँखों मै आंसू
बस यही जिंदगी की कहानी हो गई,
आगे क्या होगा कैसे होगा,
गुमनाम मेरी मंजिल की निशानी हो गई!
© 𐌼я. ∂ιϰιт