लब खामोश हैं
लब खामोश हैं, आँखों मै आसूं,
दिल मै बेचैनी उठ रहा एक अजीब सा तूफान है!
अनजान हुँ जिस चीज से शायद उसका आगाज है,
कुछ मेने ही बुरा किया होगा जिसका ये अंजाम है!
जब पैर मै बेड़िया हो तो,उड़ान कैसे भरे कोई,
सांस लेने हो जाए दुशवार तो कैसे जिये कोई!
ना कोई गलत राह,ना कोई गलत चाह,
पर हर मोड़ पर ना जाने क्यू मुझे पुकारा जाए लापरवाह!!
कविता मै पिरो के अपने दर्द को,
कुछ यूँ जाहिर कर दिया,
कागज...
दिल मै बेचैनी उठ रहा एक अजीब सा तूफान है!
अनजान हुँ जिस चीज से शायद उसका आगाज है,
कुछ मेने ही बुरा किया होगा जिसका ये अंजाम है!
जब पैर मै बेड़िया हो तो,उड़ान कैसे भरे कोई,
सांस लेने हो जाए दुशवार तो कैसे जिये कोई!
ना कोई गलत राह,ना कोई गलत चाह,
पर हर मोड़ पर ना जाने क्यू मुझे पुकारा जाए लापरवाह!!
कविता मै पिरो के अपने दर्द को,
कुछ यूँ जाहिर कर दिया,
कागज...