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दीप
एक दीप तेरे नाम का भी जलाया है,
शायद इस तरह तुझे खुदमे पाया है,
जब भी उठाए हाथ दुआओं में मैंने,
हर एक आयत में तुझको बसाया है,
माना मन्नते अधूरी रह जायेगी मेरी,
फिर भी रूह में तुझे ही सजाया है,
खुदा करे खुशियां बरकरार रहे तेरी,
बस यही एक आरजू मेरी खुदाया है।।
© Bansari Rathod ' ईश '
शायद इस तरह तुझे खुदमे पाया है,
जब भी उठाए हाथ दुआओं में मैंने,
हर एक आयत में तुझको बसाया है,
माना मन्नते अधूरी रह जायेगी मेरी,
फिर भी रूह में तुझे ही सजाया है,
खुदा करे खुशियां बरकरार रहे तेरी,
बस यही एक आरजू मेरी खुदाया है।।
© Bansari Rathod ' ईश '
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