परिवार की भाषा परिभाषा...........✍🏻
खो रही है परिवार की भाषा परिभाषा
वो प्रेम और स्नेह की आशा अभिलाषा
नजदिकियों के रिश्ते में रिश्ता कहां रहा
यहां तो हो रहा आज कल उल्टा तमाशा
धीरे धीरे मतलबों की जुबां घुल मिल रही है
यहां तो हर कोई कह रहा है आधा अफ़साना
हाल-ए-हालातों का बदलता किरदार है वक़्त
ना जाने कब छूट गया रिश्तों का आना जाना
खो रही है संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियां...
वो प्रेम और स्नेह की आशा अभिलाषा
नजदिकियों के रिश्ते में रिश्ता कहां रहा
यहां तो हो रहा आज कल उल्टा तमाशा
धीरे धीरे मतलबों की जुबां घुल मिल रही है
यहां तो हर कोई कह रहा है आधा अफ़साना
हाल-ए-हालातों का बदलता किरदार है वक़्त
ना जाने कब छूट गया रिश्तों का आना जाना
खो रही है संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियां...