मां का प्यार
वो जताती नहीं, न बताती है
अपनी ममता का एहसास
रूह तक महसूस कराती है
प्यार कुछ इस तरह दिखाती है माँ
हर जख्म पर ताकत का मरहम लगाती है
खेल के मैदान में हौंसला बढ़ाती है माँ..
गिरती हूँ, चोट खाती हूँ जब भी
प्यार की थपकी से सारा दर्द मिटाती है माँ..
गिरकर शाख़ से पत्ता मुरझा जाता है
हम गिर जाऐ तो संभलकर चलना सिखाती है माँ..
आँखों से एक भी अश्रु ना आने देती है
रोऊं तो करतल बन जाती...
अपनी ममता का एहसास
रूह तक महसूस कराती है
प्यार कुछ इस तरह दिखाती है माँ
हर जख्म पर ताकत का मरहम लगाती है
खेल के मैदान में हौंसला बढ़ाती है माँ..
गिरती हूँ, चोट खाती हूँ जब भी
प्यार की थपकी से सारा दर्द मिटाती है माँ..
गिरकर शाख़ से पत्ता मुरझा जाता है
हम गिर जाऐ तो संभलकर चलना सिखाती है माँ..
आँखों से एक भी अश्रु ना आने देती है
रोऊं तो करतल बन जाती...