गोया कि
एक अबोध बालक
रोज नए नए ख्वाबों से जिंदगी गुलज़ार है।
सपने है खुली आंखों में और रंजों गम बेशुमार है।
फिर भी न आंख थकती है न हम थकते हैं ।
रोज रोज तोहमत के लगे चाहे हज़ारों अम्बार हैं।
© All Rights Reserved
रोज नए नए ख्वाबों से जिंदगी गुलज़ार है।
सपने है खुली आंखों में और रंजों गम बेशुमार है।
फिर भी न आंख थकती है न हम थकते हैं ।
रोज रोज तोहमत के लगे चाहे हज़ारों अम्बार हैं।
© All Rights Reserved