बदलाव
क्यूं बदल गए तुम
ये प्रश्न गूंजता है मन मे
पर ऐसा सोचने से क्या लाभ
बदलाव तो हर पल हो रहा है
लेकिन जिससे लगाव है
उसमे बदलाव क्यूं स्वीकार नही
क्यूं हम अपने अनुसार ही
अपनों को देखना चाहते हैं
ये प्रश्न गूंजता है मन मे
पर ऐसा सोचने से क्या लाभ
बदलाव तो हर पल हो रहा है
लेकिन जिससे लगाव है
उसमे बदलाव क्यूं स्वीकार नही
क्यूं हम अपने अनुसार ही
अपनों को देखना चाहते हैं
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