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ग़ज़ल
क्या गिला, हैरत ये कैसी, क्या तेरा मेरा है क्या ?
अपनो ने पहली दफा अपनों से मुह फेरा है क्या ?
उम्र भर की ये कमाई जिसपे तू था लगा रहा
ये जो घर तूने बनाया वाकई तेरा है क्या ?
गिरगिटों को आज इन्सां ने पछाड़ा है मगर
खुद बता तू तेरे चेहरे पे भी इक चेहरा है क्या ?
इश्क तू, तू ही इबादत, तू है सब मेरे लिए
तू बता तेरा मुझसे तालुल्क आज भी गहरा है क्या ?
इश्क के सब दुश्मनों ने कोशिशें की हैं बहुत
आज से पहले लगा कभी इश्क पे पहरा है क्या ?
© GULSHANPALCHAMBA
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