...

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प्यार की कश्ती
अगर दर्द में बसर कर सको तो प्यार करना तुम,
अगर अंगारों पर चल सको तो प्यार करना तुम।

उजालों में तो परछाईं भी साथ नहीं छोड़ती है कभी,
गर अंधेरों में हमदर्द बन सको तो प्यार करना तुम।

हुस्न तो ढल जाता है ख़ुद-ब-ख़ुद एक ना एक दिन,
किसी की झुर्रियों पर मर सको तो प्यार करना तुम।

अनुकूल हालातों में तो हर कोई खिल लेता है यहाँ पे,
विपरीत हालातों में संवर सको तो प्यार करना तुम।

प्यार की कश्ती पे संवार हो लहरों से न डर"पुखराज"
धूप में छाँव बनकर जल सको तो प्यार करना तुम।
© पुखराज