जीवन के राज
दो राहों पर खड़ा कल को आवाज़ देता हूं,
आज-अभी से भविष्य को अल्फ़ाज़ देता हूं।
जिसे सपनों की तरह जमाना भुला देना चाहे,
उन सपनों को हकीक़त की परवाज़ देता हूं।
सही-गलत का पहचान कैसे हो, सभी अपने हैं
एक को...
आज-अभी से भविष्य को अल्फ़ाज़ देता हूं।
जिसे सपनों की तरह जमाना भुला देना चाहे,
उन सपनों को हकीक़त की परवाज़ देता हूं।
सही-गलत का पहचान कैसे हो, सभी अपने हैं
एक को...