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परिवर्तन
परिवर्तन सृष्टि का आधारभूत नियम है
जो सदियों से काल संग चल रहा है
इसे कभी ठीक से समझा ही नहीं गया
मानव इसे बोझिल सा बस ढो रहा है
रवि रोज उगता शाम को ढलता है
कहाँ भला वो स्थिर रहता है
आती-जाती बारी-बारी सभी ऋतुयें
अपना-अपना प्रभाव छोड़ आगे बढ़ जाती
कभी नव जीवन तो कभी पतझड़ होता है
नदी भी गतिशील रहती सागर में मिल
अपना रूप गवाती ये हर कोई कहाँ समझता है
ऐसे ही ये शरीर भी अपना काल चक्र है पूरा करता
बचपन जवानी अधेड़ हर परिवर्तन से गुजरता
अंततः नश्वर काया त्यागकर नयी देह है धारण करता
समझिये परिवर्तन को ,जीवन का परिवर्तन
मृत्यु में है होता ।