...

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स्वीकार


अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते
कुछ तो उसके मन में भी रहा होगा।

स्वीकार करना इतना आसान तो नहीं?
हर किसी पर बिकता ईमान तो नहीं?
कोई जज्बाती मजबूरी उसकी भी होगी
वर्ना मुहब्बत हर किसी का इंतकाम् तो नहीं?

मुहब्बत- ए- जंग में वो भी हारा होगा।
कुछ बातों में मन तो उसने भी मारा होगा।
ऐसे ही कहाँ बुलंद रहते हैं होंसले,
किसी दिल का तो उसको भी सहारा होगा ।

दिल से दिल...