...

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जिदंगी की सफर में
सोचा नही था कभी मैंने कि
जिदंगी का सफर कुछ ऐसा होगा
हद से ज्यादा प्यार भी तुमसे
और नफरत भी तुमसे होगी।

चाहत मेरी इतनी थी कि
खुद से ज्यादा तुम्हारी परवाह
रहती और खुद से ज्यादा प्यार भी।

कोई अगर आंखो से अंधा होता तो
उसे भी मेरी प्यार का अहसास
हो जाता पर तुम्हे तो मेरी प्यार का
कण भर भी महसूस हो न सका।

खुशी तो अपनों के साथ है और
अब तक की जिदंगी के सफर में
जिंदगी सीखा चुकी है
अपनों की पहचान करना।