...

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"सोचों का सफर"
क्यों सोचों में मैं उलझी रहूँ,
ख़ुद से ही हर घड़ी लड़ती रहूँ।
दुनिया की बातों का डर क्यूँ सताए,
हर लफ़्ज़ दिल पर यूँ असर क्यूँ कराए?

ख़ुद की सुने कब ये दिल का फ़साना,
हर शक़्स लगे कोई नया इक अफ़साना।
ख़ामोशियों में...