...

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काश कहीं मिल जाए....
हाय जिंदगी, बाय जिंदगी,
कैसे कैसे रंग दिखलाए जिंदगी।

इक रुत आए, इक जाए जिंदगी,
फिर भी क्यों नहीं आए जिंदगी।

बस तेरी ही याद सताए जिंदगी,
बार बार मुझको रुलाए जिंदगी।

गर तू मिल जाए तो बहाएं जिंदगी,
चंद आंसू तभी तो बचाए जिंदगी।

जो दर्द ए गज़ल लिखाए जिंदगी,
अब वही दिल बहलाए जिंदगी।

यह सारा जहाँ सो जाए जिंदगी,
क्यों छगन नहीं सो पाए जिंदगी।

हाय जिंदगी..., बाय जिंदगी...,
काश कहीं मिल जाए जिंदगी।
छगन सिंह जेरठी