...

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दर्द- ए- जुदाई
बहुत कम सफ़र रहा ज़िन्दगी का तुम्हारे साथ
अभी तो ज़िन्दगी जीना बाकी था तुम्हारे साथ

हमारा साथ छूट गया, खुदा ने बुला लिया अपने पास
मेरी तक़दीर में शायद इतना ही लिखा था साथ

दर्द- ए- जुदाई का ग़म अब सहा नहीं जाता
तुम्हारी यादों में रात बीतती है, तन्हा रहा नहीं जाता

दर्द- ए- जुदाई आखिर कब तक हम सहे
बहुत तड़पाती है दर्द- ए- जुदाई पर क्या करे

आँसू बहते है हरदम मेरे, तड़प दिल की कैसे संभाले
सूनी है दिल की महफ़िल, जाकर किसे सुनाएँ

अब आपकी यादों के सहारे जी लेंगे हम
आँसू ना बहायेंगे अब, हर आँसू पी लेंगे हम

Usha patel