महाराणा प्रताप
मेवाड़ शिरोमणि राणा प्रताप हिंदुवाणो गौरव भारी हो
वो सिंघ दहाडतो रजपूती, वो तीखी तलवार दुधारी हो।
क्षत्रिय यज्ञ री वेदी में सब सुख साधन होम करया वाने
वन वन भटक्या भूखा तिसिया पण नेम निभाणों हो वाने।
पण देख बिलखता टाबरिया, योद्धा पर भारी बाप हुयो
मैं कारण हूं दुःख रो थारै, कांई म्हारे स्यूं पाप हुयो।
नान्हो अमरसिंह रोवे हो, भूखां मरतां रोटी खातर
चम्पा खेल खिलावण लागी, कहानी सुणाई बां खातर।
चार बरस रो अमरसिंह, इग्यारा बरस चम्पा बाईसा
खेल खेल में थक्या कुंवर भूल्या भूख, भूल्या तिरसा।
बेन बड़ी चम्पा बाई, खुद रो फरज निभावे ही
खुद री रोटी थोड़ी थोड़ी, बीरा ताई बचावे ही।
खुद री भूख री चिंता कोनी, भाई रो प्रेम...
वो सिंघ दहाडतो रजपूती, वो तीखी तलवार दुधारी हो।
क्षत्रिय यज्ञ री वेदी में सब सुख साधन होम करया वाने
वन वन भटक्या भूखा तिसिया पण नेम निभाणों हो वाने।
पण देख बिलखता टाबरिया, योद्धा पर भारी बाप हुयो
मैं कारण हूं दुःख रो थारै, कांई म्हारे स्यूं पाप हुयो।
नान्हो अमरसिंह रोवे हो, भूखां मरतां रोटी खातर
चम्पा खेल खिलावण लागी, कहानी सुणाई बां खातर।
चार बरस रो अमरसिंह, इग्यारा बरस चम्पा बाईसा
खेल खेल में थक्या कुंवर भूल्या भूख, भूल्या तिरसा।
बेन बड़ी चम्पा बाई, खुद रो फरज निभावे ही
खुद री रोटी थोड़ी थोड़ी, बीरा ताई बचावे ही।
खुद री भूख री चिंता कोनी, भाई रो प्रेम...