एहसास इक नया स अब हो जाने दे
जो न समझे हम ,वो इशारे तुम्हारें होंगे
आजकल समंदर की लहरों सी नहीं मिलते हम
क्या पता कल
इक नदी के दो किनारें होंगे
बेचैनी की आदत अब हो जाने दे
कुछ रह गया हो खोने को बाकी
तो मुस्कुराकर...
आजकल समंदर की लहरों सी नहीं मिलते हम
क्या पता कल
इक नदी के दो किनारें होंगे
बेचैनी की आदत अब हो जाने दे
कुछ रह गया हो खोने को बाकी
तो मुस्कुराकर...