...

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जिन्दगी के सबक
सोच रही हूँ
आज उस शिक्षक को भी
शुभकामनाएँ दे दूँ
जिसने जिन्दगी जीने के मायने सिखाए
सिर ऊँचा कर चलना सिखाया
फिर सोचती हूँ शब्द तो
बहुत छोटे पड़ जाएँगे
जिन्दगी है बन्दगी
जैसी हमें मिली
वैसी ही सभी को मिली
जिसे समझ आई
गाड़ी उसकी आगे बढ़ी
जिसे समझ न आई
वो थोड़ी खामोश सी रही
फिर भी अनगिनत बातें गढ़ी
बिन बोले ही सीखा गई
सभी ने कहा जिन्दगी छोटी है
हमने कहा बातें तो बड़ी बड़ी करती है
हमें तो छोटी सी जिन्दगी
बड़ी तजुर्बेकार लगी
सलाह माँगी तो एक न देती
ठोकर पे ठोकर लगा
जीना सिखाती
पहले तो समझ न आई
फिर जिन्दगी चुनौती सी लगी
आसाँ न था जिन्दगी को समझना
जाने कितने रूपों में सामने आई
हमें तो बहरूपिये सी लगी...