काहे को तू हुँकार भरता है ?
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है।
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
काहे को फिर तू इतनी हुँकार भरता है?
कमिटमेंट ही नहीं जब किसी बात का...
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है।
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
काहे को फिर तू इतनी हुँकार भरता है?
कमिटमेंट ही नहीं जब किसी बात का...