अपनी गलती
हूँ ज्ञान का सागर मै!
तुझे श्रेष्ठ कैसे मान लूँ!!
हूँ गलत लाख मै फिर भी!
अपनी गलती कैसे मान लूँ!!
हैं तजुर्बे मेरी उम्र जितने लंबे!
इन तजुर्बो को कम कैसे मान लूं!!
बात अवश्य ही है गलत तेरी!
अपनी गलती कैसे मान लूँ!!
हूँ रावण जितना अहंकारी मैं!
शीश अपना अभी कटा दूँ!! ...
तुझे श्रेष्ठ कैसे मान लूँ!!
हूँ गलत लाख मै फिर भी!
अपनी गलती कैसे मान लूँ!!
हैं तजुर्बे मेरी उम्र जितने लंबे!
इन तजुर्बो को कम कैसे मान लूं!!
बात अवश्य ही है गलत तेरी!
अपनी गलती कैसे मान लूँ!!
हूँ रावण जितना अहंकारी मैं!
शीश अपना अभी कटा दूँ!! ...