विषमुक्त भोजन, रोगमुक्त जीवन - 1
देसी बीज उगाते थे,
विषमुक्त भोजन पाते थे !
जीवामृत से कर पोषित,
हर जीव में जान बढ़ाते थे !!
विषारी कीटनाशक छिड़क कर,
जन स्वास्थ्य को तार तार कर !
बीज के गुण धर्म बदल कर,
पौष्टीकता से खिलवाड़ कर !!
आ पंहुचे हम, बीमारियों के आगोश में,
क्यूं नहीं आ पा रहे, आज भी होश में !
सारे विज्ञान को दिखा के अंगूठा,
अनुठा विषाणू है आज भी जोश में !!
भारत...
विषमुक्त भोजन पाते थे !
जीवामृत से कर पोषित,
हर जीव में जान बढ़ाते थे !!
विषारी कीटनाशक छिड़क कर,
जन स्वास्थ्य को तार तार कर !
बीज के गुण धर्म बदल कर,
पौष्टीकता से खिलवाड़ कर !!
आ पंहुचे हम, बीमारियों के आगोश में,
क्यूं नहीं आ पा रहे, आज भी होश में !
सारे विज्ञान को दिखा के अंगूठा,
अनुठा विषाणू है आज भी जोश में !!
भारत...