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ट्रेसबुक कौन पढेगा फेसबुक का जमाना है
ट्रेसबुक कौन पढ़ेगा फेसबुक का जमाना है।


किसी के पास टाइम नहीं है
तो पेट में एंजाइम नहीं है
फोन से है मैरिज तो
लव में भी लाइम नहीं है
बच्चे भी चुप चुप के
करते हैं रुक रुक के
सर्फिंग यूं नेट को
क्योंकि वो भी कोई क्राइम नहीं है
अब आप ही बताइए
उलूक कौन बनेगा आउटलुक का जमाना है
ट्रेसबुक कौन पढेगा फेसबुक का जमाना है।

डिस्कस और सेंड अस
का ट्रेंडस है जोरों पर
सपना और अपना का
रिलेशनशिप गोरों पर
राजनीति बाजनीति
कूटनीति फूटनीति
साम दाम घोड़ों पर
सबसे अच्छी शूटनीति
मेड है बच्चों की मां
खाना कौन करेगा कारखाना में ठिकाना है
ट्रेसबुक कौन पढेगा फेसबुक का जमाना है।

पढ़ने पढ़ाने की फुर्सत है किसके पास
पैसे बटोरने की न किस्मत हो जिसके पास
कुकिंग और बुकिंग में
हासिल महारत हो
पुलिस या फूलिश ही
बनने की इवादत हो
तो फिर है मजा मॉल में
या कस्टमर के कॉल में
आप ही समझाइए हमें
लाइन कौन लगेगा ऑनलाइन ही किराना है
ट्रेसबुक कौन पढेगा फेसबुक का जमाना है।

वीडियो को लाइक है
ऑडियो को हाइक है
देखने दिखाने की
वाइफ और बाइक है
भाई है रोड़ों में
लुगाई करोड़ों में
बेटा पानी पी रहा
डूब डूब शोरों में
आप ही बुझाइए हमें
डिटॉल की जरूरत क्या डॉल से काम चलाना है
ट्रेसबुक कौन पढेगा फेसबुक का जमाना है।

बुर्का पहनना है
मुर्गा का शर्त है
टाइप सब मिलेगा ही
देखने का फर्क है
अर्क , बर्क , कर्क
आज परिभाषा है एक सी
खूब खाओ बर्फ
नहीं तो भोगना है नर्क ही
मन्नी से ही शन्नीदेव
कॉइन कौन रखेगा बिट कॉइन पर निशाना है ट्रेसबुक कौन पढेगा फेसबुक का जमाना है।


© शैलेंद्र मिश्र 'शाश्वत'