...

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सितम ढाने को 💞
ना जहमत कर मुझे रोजो शब रुलाने को
तेरा नजर फेर लेना काफी है सितम ढाने को

उसकी गली से गुजरते ही हरे से हो जाते हैं
आज भी एक जमाना लगेगा उसे भुलाने को

इंतहा तो देख मेरे मरतब ए फिराक की
खुद सहर आई है आज मुझे हंसाने को

(मरतब..रुतबा)(फिराक.. जुदाई)

मेंहदी से रचे उसके हाथ जब याद करता हूं
जायदा हंस लेता हूं मैं दर्द अपना छिपाने को

एक चेहरा हम भी खरीद लाए हैं बाज़ार से
झूठों की झूठी महफिल-ए-तरब में दिखाने को
© char0302