...

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तुम्हारे बाद का मौसम 🙂
हरिक क़िस्सा उछालेगा तुम्हारे बाद का मौसम
यक़ीनन मार डालेगा तुम्हारे बाद का मौसम

कभी सर्दी, कभी गर्मी, कभी वादे, कभी यादें
हमें रह-रह के जा-लेगा तुम्हारे बाद का मौसम

कभी पहरे बिठा कर क़ैद करदेगा हमें घर में
कभी घर से निकालेगा तुम्हारे बाद का मौसम

ढलेगी शाम तो हम मय-कदे की छाँव में होंगे
शराफ़त को चुरा लेगा तुम्हारे बाद का मौसम

हमें मालूम है जानाँ तुम्हारे बाद क्या होगा
हमें ह़ैरत में डालेगा तुम्हारे बाद का मौसम

सुकूँ छीना, ह़या छीनी, स़दा छीनी, ह़यात आख़िर
अब और हम से क्या लेगा तुम्हारे बाद का मौसम

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