...

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तुम्हारा साथ 💔
मजधार में हाथ जो थामा था ,
कस्ती में आकर छोड़ दिया ।
टूटे- टूटे लहरों ने अब ,
हिम्मत का दम भी तोड़ दिया ।
मै नीद से रूठी बैठी थी और
ख्वाब ने नाता तोड लिया।
चमक तारों की देखू कैसे ,
उसने धूल का परदा ओढ़ लिया।
हवा से शर्ते रखी जो मैने ,
उसने मेरा रुख ही मोड़ दिया ।





© Saumya singh