इक शाम तुम्हारे सँग सोची हैं
रखी हुई इक चाय कि प्याली,
वर्षा संगत मधुर सुवाली,
मधुशाला कि गैरहजर मे,
जाम तुम्हारे मन सोची हैं,
इक शाम तुम्हारे सँग सोची हैं।
ढला हुआ सा आधा सूरज,
किरणों से रंगीला गगन,
शाम मे केवल शामिल होंगे,
तुम और तुम्हारेे...
वर्षा संगत मधुर सुवाली,
मधुशाला कि गैरहजर मे,
जाम तुम्हारे मन सोची हैं,
इक शाम तुम्हारे सँग सोची हैं।
ढला हुआ सा आधा सूरज,
किरणों से रंगीला गगन,
शाम मे केवल शामिल होंगे,
तुम और तुम्हारेे...