Dua
ख़्वाब-ए-हयात मुझको दिखा दे कोई
एक मुद्दत से जागी हूँ ज़रा सुला दे कोई
ख़ुश्क आँखों में कुछ नमी आने के लिए
बेहतर है के अब मुझको रूला दे कोई
जाती नहीं शिकन चहरे से जनाब
किसकी मजाल जो मुझको हँसा दे कोई
अब नहीं...
एक मुद्दत से जागी हूँ ज़रा सुला दे कोई
ख़ुश्क आँखों में कुछ नमी आने के लिए
बेहतर है के अब मुझको रूला दे कोई
जाती नहीं शिकन चहरे से जनाब
किसकी मजाल जो मुझको हँसा दे कोई
अब नहीं...