मैं जानता हूं...
मैं सोचता हूं क्या नाम दूँ तुम्हें?
तुम मेरा ख्वाब हो, महज़बीन, हसीन ख्वाब, तुम मेरे दिन का आफताब, रातों की माहताब।
तुम जब जब आसमां में मुकम्मल चांद को देखती हो, मैं जानता हूं उस वक्त, उस लम्हा तुम क्या सोचती हो?
तुम जब भी आराम से कहीं थक कर बैठ जाती हो, मैं जानता हूं तुम सिर्फ...