...

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वक़्त
खोया - खोया सा मन बावरा है कहीं, अधूरी सी ख्वाहिशों में दबा है कहीं, चाहत है खुद से रूबरू होने की , कमबखत वक्त है कि सुधरता ही नहीं ।।