...

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12 साल बेइंतहा मोहब्बत के
प्यार हो गया है बेइंतहा , हो गई है शायद भूल।
अपने लिए हमसफर चुनकर ,करदी है शायद मैंने भूल।
मैंने तो खुशियां ही चाही थी ,पर लगता है ये न था खुदा को मंजूर ।
कितना विश्वास था कृष्ण पर, कि 12 साल का रिश्ता ऐसे ना जायेगा टूट।
प्यार कम नही था ,तेरे मेरे दरमियां ।
बस मेरे परिवार के लिए, ये रिश्ता यही गया है छूट
जानती हूं पैदा किया है उन्होंने मुझे ,नाजों से पाला है भरपूर ।
पर क्या अपनी जिंदगी का इतना बड़ा फैसला ,नही ले सकती थी मैं जरूर