खफा सी मोहब्बत
खुदसे इस कदर टूटे हैं, जैसे शाखों से पत्ते गिरते हैं।
किसी के होने चले थे खुदसे ही दूर बैठे हैं।।
वो मुवक्किल समझते हैं दर्द मेरा।
पर...
किसी के होने चले थे खुदसे ही दूर बैठे हैं।।
वो मुवक्किल समझते हैं दर्द मेरा।
पर...