...

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बचपन
जो मुड़कर वापस न आए
जो हमेशा तड़पाए
जो सिर्फ हमें याद ही आए,
वह बचपन कहलाए।

बचपन वह चीज़ है
जो कभी दोहराकर न आए,
जैसे बादल से गिरी बूंद
नभ में वापस न जाए

बचपन में कभी न कोई
अपना पराया का चिंता सताए,
क्या खाना है, क्या पहनना है
क्या धन है, क्या गरीमा है।

बचपन वह छवि है
जो खुशियों से भरपूर है,
वह मस्ती भरा उपहार है
जिसे ईश्वर ने दिया है

बचपन वह चीज़
जो बड़ों की कल्पना मात्र है,
यह कभी न लौटने वाला है
यह सिर्फ याद ही याद है।