...

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मेरी कविता तुम्हारी देहरी
मेरी कविताएं
तुम्हारी देहरी पर खड़ी हैं
सहमी सहमी सी
तेरी चौखट पर एक दस्तक दी हैं
तुम झांकते हो झरोखों से क्यूं
अब किवाड़ खोल दो
एक बार मेरे मन के
भावों को पढ़ लो
मन के ध्वनि...