...

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ज़रुरी नहीं जो सोचो
ज़रुरी नहीं जो सोचो वही मामला हो जाएगा, अभी तो गिरह खुली है कैसे फैसला हो जाएगा,

न समझ, समझ से काम ले फैसला हकीकत से है
युंही फिर बाज़ी चला तो बहुत मसला हो जाएगा,

तू खामोश रह न कर कोशिश ए नागवार
गर मेरा होसला टूटा तो किस्सा बरमला हो जाएगा,

युन्ही थोडी अँधेरों में चल सबक हासिल किया मुझे इल्म था एक रोज़ साथ सारा काफ़ला हो जाएगा,

ये जो भुजा कर निकला है चराग रोको सारिम
ज़ियादा ये शक्स उजाले से भागा तो और मसला हो जाएगा
© Sarim