...

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बेवफा
जिस्म बदलते लोगो पर ऐतबार करके बैठ गया
वो बेवफा भी बेवफा से प्यार करके बैठ गया

और कुछ तो था नही था पास उसके खोने को
एक बस दिल ही था हार करके बैठ गया
वो बेवफा भी बेवफा से प्यार करके बैठ गया

आंखो में कुछ ख़्वाब थे आरजू ए दिल भी थी
लेकिन अपनी हसरतों को मार करके बैठ गया
वो बेवफा भी बेवफा से प्यार करके बैठ गया

इस दफा इश्क में ना साथ दिया नसीबा ने
रही सही कुछ साख थी उजाड़ करके बैठ गया
वो बेवफा भी बेवफा से प्यार करके बैठ गया

क्यों करे अफसोस "दीप" जो होना था वो हो गया
दर्द ए जिंदगी को हरफो में उतार करके बैठ गया
वो बेवफा भी बेवफा से प्यार करके बैठ गया


© शायर मिजाज