...

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भावना भावशून्य हो गया....
वजूद का अहम वजूद होता है
चाहे वो कोई रिश्ता हो
ये समझा दिया लोगो ने
जादूगर चाहे कितनी मधुर धून छेडे
लोग उसके करतब के आकांक्षी होते है
फूंक से पर्वत नही उडाए जाते
बातों से दिल नही जीते जाते
सिर्फ बहलाए जाते है
और बहलने वाले दिल को
रोज नये खिलौनो की जरूरत होती है
जींदगी जीवन को तबतक नही समझती
जबतक इश्क़ न कर लो
अन्नी दुअन्नी तक समझ मे आ जायेगा
फिर जब ठोकरें जानेमन की लगे तो
दिल के जीभ जलते है
दीमाग के कान से धुंआ निकलने लगता है
तितर बितर हो जाते है ख्वाब
और इंसान कोमा मे चला जाता है
हिलना डुलना सब स्थगित
किसी ने सच ही कहा था....
" लगाए दिल वही जिसको खुदा खराब करे "
एक बात पता है आपको???
दुनिया मे जो दृश्यांत है
उसी की वृतांत है, अर्थात
और मै तो अदृश्य हूँ
जिसका वजूद ही नहीं है
फिर कोई चर्चा ही क्या???