...

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राख और खाक
जल जल के राख़ तो पहले से हूं मैं,
एक तुम्हारा सितम बाकी है, आओ ख़ाक कर दो मुझे,
एक तुम्हारे नाम का अश्क़ बचा के रखा हैं इन पथराई आंखों में,
ज़ख्मी दिल पे एक चोट तुम भी दो और बह जाने दो उसें,
आओ दोस्त बन के फिर थोड़ा सा और तोड़ दो मुझें,
कुछ भी न महसूस हो, न कोई जज़्बात न एहसास बाकी रहें,
हां कुछ नही, बस एक मेरा पत्थर का दिल और उसको सीने में लिए मैं,


© preeti- let's talk life