...

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हर दफा कुछ न कुछ अजीब कर देता हूं
हर दफा कुछ न कुछ अजीब कर देता हूं
अपने हिस्से की खुशी किसी को भी दे देता हूं

कलम चलाने बेठ जाता हूं जब लिखने
में कागज को कई किरदार दे देता हूं

बस शोख है मुझे भी तस्वीरों में छपने का
हर रोज अखबार को एक वजह दे देता हूं

जब मांगा जाता है लेखा जोखा मुझसे
डायरी संग तिजोरियों की चाबी दे देता हूं

उजालों से रहती है नाराज़गी हमेशा मेरी
'नीर' में अंधेरो को हिस्सा तमाम दे देता हूं

हर दफा कुछ न कुछ अजीब कर देता हूं
अपने हिस्से की खुशी किसी को भी दे देता हूं

© Karma_Hi_Mokhsa