अपना बचपन कैद करके
अपना बचपन कैद करके जिसने तुमको बचपन दिखलाया था,
तोड़ के नाता बहन का जिसने मां का फर्ज निभाया था।
आज लगी है बूरी वह तुमको, दो शब्द जो कड़वे बोली तुमको,
खुद थी नंगे पांव, और ले कंधे पर डोली तुमको।
उसने तो निभा दिया, अब फर्ज निभाने की है तुम्हारी बारी,
अब...
तोड़ के नाता बहन का जिसने मां का फर्ज निभाया था।
आज लगी है बूरी वह तुमको, दो शब्द जो कड़वे बोली तुमको,
खुद थी नंगे पांव, और ले कंधे पर डोली तुमको।
उसने तो निभा दिया, अब फर्ज निभाने की है तुम्हारी बारी,
अब...