...

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अपना बचपन कैद करके
अपना बचपन कैद करके जिसने तुमको बचपन दिखलाया था,
तोड़ के नाता बहन का जिसने मां का फर्ज निभाया था।
आज लगी है बूरी वह तुमको, दो शब्द जो कड़वे बोली तुमको,
खुद थी नंगे पांव, और ले कंधे पर डोली तुमको।
उसने तो निभा दिया, अब फर्ज निभाने की है तुम्हारी बारी,
अब तक तुम थे उसकी , अब वो है तुम्हारी
ज़िमेदारी।
कितना खुशनशीब है तू, जो उस जैसी बहन तुझको मिली है,
खुद का जीवन मुरझाया उसने, तब जाकर तेरी जिंदगी खिली है।
अपना बचपन कैद करके, जिसने तुमको बचपन दिखलाया था,
तोड़ के नाता बहन का, जिसने मां का फर्ज निभाया था।




आपकी बहन होने पर आता है
खुद पर नाज मुझे।
दूर होकर भी दूर नहीं आप
होता है एहसास मुझे।।

© Andy 420...........