...

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दिल बेचारा
कोई कहे नादान इसे, तो कोई कहे नाकारा ।
कोई कहे बच्चा इसे, तो कोई कहे पागल आवारा
सब की बातें सुन कर भी अपनी धुन में रहता
आख़िर और करे भी तो क्या करे
यह दिल बेचारा ।
लोगों के तानो का मारा ।।
यह दिल बेचारा

यह दिल बेचारा आख़िर ऐसा क्या चाहता ।
क्यूं पूरा संसार इस मासूम के पीछे पड़ जाता ।।

बस चाहता है तो खुले आसमान में उड़ना ।
चाहे तो बस किसी एक ख़ास दिल संग जुड़ना।

पर जाने क्यूँ लोग इस दिल बेचारे को देते है तोड़
क्यूं उम्मीदें जगा कर फिर जाते है यूं छोड़।।

उम्मीदों को लगाए रखता है यह दिल बेचारा।
पर टूट जाती है उमीदें जब मिले ना कोई सहारा।
हाए यह दिल बेचारा।।

ऐ नादान दिल, जुड़ जाया कर हर बार जब भी कोई तोड़े।
रोती है आंखें जब तू किसी की यादों के पीछे दौड़े।
भूल जा गम को, संजो ले अरमान थोड़े।
दिखा दे दुनिया को क्या है होता जब एक दिल अपना बेचरापन छोड़े।।

जिंदगी की हर गलती का दोष सिर्फ तुझे है मिलता।
सब की खुशियां चाहने वाले को सिर्फ गम है मिलता।।

आखिर क्यों है तू बेचारा।
क्यूं तू हर बार जज्बातों से हारा।
मजबूत बन और बन उस टूटे हुए इंसान का सहारा।।

मत बन अब तू दिल बेचारा।
बस कर अब तू बनना यूं दिल बेचारा।


© Vasudha Uttam