दीप!
हवाओं में तो धूल भी उड़ जाती है,
दीप तू धूल तो नहीं!
बहाव में तो लाश भी बह जाती है,
दीप तू लाश तो नहीं !
क्यों मारा है दीप, क्यों मारा है ?
अपनी इच्छा सकती का गला घोट,
हमेशा मन के साथ चला है!
कहां है तेरी वीरता दीप?...
दीप तू धूल तो नहीं!
बहाव में तो लाश भी बह जाती है,
दीप तू लाश तो नहीं !
क्यों मारा है दीप, क्यों मारा है ?
अपनी इच्छा सकती का गला घोट,
हमेशा मन के साथ चला है!
कहां है तेरी वीरता दीप?...