मां का रूप
ममता का दीप है जो जलाए,
साहस में वो कभी न थम पाए।
दर्द की चुप्प में गहराई है,
जो छुपाए, फिर भी हर मुश्किल सह पाए।
कोमलता की जैसे फुलवारी हो,
जज्बा उसका, पर्वत सा भारी हो।...
साहस में वो कभी न थम पाए।
दर्द की चुप्प में गहराई है,
जो छुपाए, फिर भी हर मुश्किल सह पाए।
कोमलता की जैसे फुलवारी हो,
जज्बा उसका, पर्वत सा भारी हो।...