कविताएं
जब कुछ लिखने को ना हो
तब पढ़ती हूं
लोगों की लिखी कविताएं
कुछ छोटी कुछ बड़ी
सुनी अनसुनी
बस जो लिख दी गई हो
कभी किसी वजह से
तो कभी यूं ही
बेवजह..
ढूंढने की कोशिश करती हूं
शब्दों के बीच की
खाली जगह में
छूट गए शब्द
इतने भारी
इतने विशाल..
जो इतनी संकरी जगह में
समा ही नहीं पाए
...
तब पढ़ती हूं
लोगों की लिखी कविताएं
कुछ छोटी कुछ बड़ी
सुनी अनसुनी
बस जो लिख दी गई हो
कभी किसी वजह से
तो कभी यूं ही
बेवजह..
ढूंढने की कोशिश करती हूं
शब्दों के बीच की
खाली जगह में
छूट गए शब्द
इतने भारी
इतने विशाल..
जो इतनी संकरी जगह में
समा ही नहीं पाए
...