...

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रौशनी मिल गई....!
ख़्वाहिशों को छोड़ दिया तो ख़ुशी मिल गई
इलाज-ए-दर्द-ए-दिल से नई ज़िंदगी मिल गई

किसी ने दस्तक दी मन के गहन वीराने में
रूह बहुत बेचैन थी उसे आशिक़ी मिल गई

हम मुद्दतों से भटक रहे थे वहम के अंधेरों में
अपने हीं दिल को जलाया तो रौशनी मिल गई

दिल पसीज गया अगर गरीबों की बेबसी से
तो समझो इसी जनम ख़ुदा की बंदगी मिल गई

जिसकी तलाश में सभी खाक़ छानते मर गए
थी यहीं कहीं मौज़ूद पाया तो शाइरी मिल गई
----राजीव नयन