न जुल्फों से अब फिर ये बरसात होगी (ग़ज़ल)
न जुल्फों से अब फिर ये बरसात होगी
हक़ीक़त की दुनिया ही अब साथ होगी
तिरे साथ खुशियां जो आई थीं मुझ तक
तिरे बाद बस ग़म की बारात होगी
मिला था जो तुमसे वही प्रेम था बस
किसी से मिलेगा तो ख़ैरात होगी
खयालों की दुनिया से ऊबा हुआ हूं
हक़ीक़त ही अब बस मिरे...
हक़ीक़त की दुनिया ही अब साथ होगी
तिरे साथ खुशियां जो आई थीं मुझ तक
तिरे बाद बस ग़म की बारात होगी
मिला था जो तुमसे वही प्रेम था बस
किसी से मिलेगा तो ख़ैरात होगी
खयालों की दुनिया से ऊबा हुआ हूं
हक़ीक़त ही अब बस मिरे...