...

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तेरे लिखे ख़त
तेरे लिखे ख़त रख लिए संभाल कर
यूं भी रखा मैंने ख़ुद को संभाल कर

मेरे दिल-ओ-जहान में हर वक़्त तू ही है
ज़हन से ही भले कुछ और ख़याल कर

आ कर समेट मुझे दामन में अपने अब
और ना मुझे मुंतशर-उल-ख़याल* कर
*{बिखरे हुए विचारों वाला}

भर चुका हूँ...