...

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वो चरखा..वो चश्मा
वो चश्मा वो डंडा
वो चरखा वो बंदा
सब सोचे क्या कर पाएगा
ना जाने थे क्या कर जाएगा

इंसान को इंसान से मिलाया
चरखा सूत स्वदेशी होने का
सही मतलब उन्होंने दिखाया
आज उठ रहे सवाल क्यों भारत तुड़वाया

ना शरीर ऊंचा लम्बा
ना था बहोत पैसा
बस थी विद्या देवी की कृपा
सबको मोह ले, वो था वैसा

उनके वक्त में देश को रास्ता दिखलाया
नमक के बहाने सबको एक कराया
देशी विदेशी का मतलब बतलाया
खुद भी जेल गए,
हिंदुस्तान को आज़ाद कराया

आज उनका जन्मदिन है
क्या सोचते होंगे वो
मैं गई थी उनके आश्रम
दो हुए वर्ष, मेरे कांगड़ा जैसा लगा घर वो
वो रसोई मिट्टी की दीवार वो लकड़ी की
थी वैसी ही काश्तकारी

चरखा भी चलाया था थोड़ा सा मैंने
फोटो भी है मेरे पास
क्या हम भी थे उस जन्म में यहां
जेल गए हों उस वक्त हम भी काश...

© cmcb